प्रेम के दीये जलाते हैं

है रीत सुहावन, प्रीत मनभावन.....
एक सुन्दर रस्म निभाते हैं.....
चलो प्रेम के दीये जलाते हैं |
घृणा, द्वेष, अह्म का दोष मिटाकर...
 चीत में  नया मलंग जगाकर...
नफ़रत की अंधियारे को दुर भगाते हैं...
चलो प्रेम के दीये जलाते हैं ...|||



है दिन ये पावन, उत्सव सुहावन....
एक कृतग्य करम निभाते हैं...
कुछ पुष्प् शहीदो के चरणो पर ,
हम कर्जदार चढ़ाते हैं...
चलो प्रेम के दिये जलाते हैं...

क्या हम हिंदू, क्या तुम मुस्लिम...
इक होकर हम भारत को अमर बनाते हैं...
चलो प्रेम के दिये जलाते हैं...
जो भुखे हैं, उन्हें भोजन के,
कुछ निवाले खिलाते हैं...
कुछ टूटे घरो में सृजन का,
अद्भुत अलख जगाते हैं..
चलो प्रेम के दीये जलाते हैं...



Happy Diwali 

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