राधा कृष्ण
मोहन मोहन खोज रही है राधा...
भोर गयो तुम, रात भयो...
अब तक लौट कर आयो ना मोरा कान्हा...
मोहन मोहन खोज रही है राधा...
भयो कुपित क्यों हमसे छलिया...
तोरे बिन रास आवे ना ये पुष्प्, ये कलिया..
बिन देखन तोरे मुस्कान ओ रसिया...
मोहे ना सुहावे ये श्रिन्गार, ये घुँघटिया...
अब तो लौट ओ बन्शीधर प्यारे..
बिन देखन तोहे आवे ना चैन म्हारे...
मोहन मोहन खोज रही है राधा....
🖋प्रेम आर्या
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