Posts

Showing posts from June, 2020

ये सावन बड़ा हरजाई है 💓

ये सावन बड़ा हरजाई है.... बुंद बुंद गिरी जमी पर, पौधो ने ली अंगराई है... तुम तो नहीं आये साकी, पर तेरी याद आई है.... गरमी के मौसम में, काली बादल घिर आई है... सनन सनन हवा हर कोने से बलखाई है... सूखी धरा भी तृप्त हुई है, मोर भी विक्षिप्त हुई है... सारा जहाँ खुशहाल हुआ है, पर मेरा दिल बेहाल हुआ है ... बोलो अकेले इस मौसम का कैसे सत्कार करु मैं.. करके बहाने तुम ना आई, अब बोलो किससे प्यार करु मैं.. अब छोड़ो पुरानी बातों को, नये सिरे से शुरुआत करे हम... मैं हूँ तेरा, तुम हो मेरा... आ बेफ़िक्र होकर प्यार करे हम.... 

मेरी दुनिया

झूठ बोलकर सपनों कि दुनिया में तो तुम ले आये... एक प्यारा सन्सार है यहां, जाने क्या क्या बतलाये... मिलता यहाँ सब कुछ, चाहे तुम कुछ भी फ़रमान करो सब चीज हाजिर हो जायेगा पल भर में, कुछ तो तुम अरमान करो  ..... है उन्ची उन्ची अटारिया, है बड़े बडे से रास्ते.. सब अपने आप में मगन हैं, किसी को भी नहीं किसी और से वास्ते... लाखों के दुनिया में यहाँ हर कोई अकेला है.. कहने को तो सारा है, पर बोला यहाँ कौन हमारा है.. हर किसी का अलग अलग स्वांग यहाँ पर, सबकी अलग अलग पहचान है... बस काम भर का रिश्ता है यहां पर, वरना तो सारे अन्जान हैं... नहीं चाहिए मुझे तुम्हारा ये सपनो का संसार, मुझे ले चलो फ़िर वहाँ पर, जहाँ मेरा अपना घर द्वार... है अपनो का प्यार जहाँ पर, माँ बाप का दुलार जहाँ पर... जहाँ खेतो की पगडन्डिया हैं, जहाँ नहर का निश्छल पानी है... दुनिया मेरी वही है, वही जीवन की रवानी है... मीठे मीठे आम जहाँ पर, गोल गोल से बेर हैं...  दुध, दही का भरमार जहाँ पर, अमरुद, तरबुज का ढेर है.. मुझे तुम्हारा ये शहर नहीं भाता, अपना मुझे कोई नजर नहीं आता.. ले चलो फ़िर से मुझे मेरे गाँव, मेरा वही स...

अन्धविश्वास

मेरे गाँव के बीचों बीच बहने वाली नदी के किनारे मैनें देखा कि सैकड़ों की संख्या में औरतें पुजा कर रही है... जिसको जो बन पाया उसका भोग चढ़ा रही है । नदी के किनारे कई जगह चुरा, मिठाईयाँ, चीनी और मिश्री का भोग लगा था । धुप, अगरबत्तियों का भी सुगंध फ़ैल रहा था । चुरा से पुरा किनारा भरा पडा था,कुछ पानी के साथ बह भी रहे थे । कौतुहल वश मैने पुछ ही लिया कि आखिर माजरा क्या है ? कुछ औरतों ने मुझे बताया कि, ये भोग कोरोना भगवान को चढ़ाया गया है  । मैं यह सुनकर स्तब्ध रह गया कि एक महामारी को कोई भगवान कैसे मान सकता है । जिस दैत्यरुपी महामारी के कारण आज लाखों लोग मर रहे हैं, कोई उसकी पुजा कैसे कर सकता है । उन में ज्यादतर गाँव की वो औरते थी जो अशिक्षित थी, इसलिए मैने सोचा कि ये पता किया जाये कि इन औरतो को ऐसा कार्य क्यों करना पड़ रहा है । पूछने के बाद कुछ बूजुर्ग से मुझे ये पता चला कि किसी फ़लाने के सपने में एक मछुआरा आया था जो कुछ दिन पहले मर गया,सपने में उस मछुआरे ने खुद को कोरोना बताया और कहा कि अगर उसे चुरा, चीनी का भोग नहीं चढ़ाया गया तो वो सारे गाँव को बरबाद कर देगा । ये सारी बातें स...