मेरे गाँव के बीचों बीच बहने वाली नदी के किनारे मैनें देखा कि सैकड़ों की संख्या में औरतें पुजा कर रही है... जिसको जो बन पाया उसका भोग चढ़ा रही है । नदी के किनारे कई जगह चुरा, मिठाईयाँ, चीनी और मिश्री का भोग लगा था । धुप, अगरबत्तियों का भी सुगंध फ़ैल रहा था । चुरा से पुरा किनारा भरा पडा था,कुछ पानी के साथ बह भी रहे थे । कौतुहल वश मैने पुछ ही लिया कि आखिर माजरा क्या है ? कुछ औरतों ने मुझे बताया कि, ये भोग कोरोना भगवान को चढ़ाया गया है । मैं यह सुनकर स्तब्ध रह गया कि एक महामारी को कोई भगवान कैसे मान सकता है । जिस दैत्यरुपी महामारी के कारण आज लाखों लोग मर रहे हैं, कोई उसकी पुजा कैसे कर सकता है । उन में ज्यादतर गाँव की वो औरते थी जो अशिक्षित थी, इसलिए मैने सोचा कि ये पता किया जाये कि इन औरतो को ऐसा कार्य क्यों करना पड़ रहा है । पूछने के बाद कुछ बूजुर्ग से मुझे ये पता चला कि किसी फ़लाने के सपने में एक मछुआरा आया था जो कुछ दिन पहले मर गया,सपने में उस मछुआरे ने खुद को कोरोना बताया और कहा कि अगर उसे चुरा, चीनी का भोग नहीं चढ़ाया गया तो वो सारे गाँव को बरबाद कर देगा । ये सारी बातें स...
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