हर व्यक्ति की अभिव्यक्ति का सम्मान होना चाहिए... ना हिन्दू, ना मुस्लिम.. भारतीयता ही हमारी पहचान होना चाहिए.. क्यों बंटे हम टुकडों में, सजग, सबल, संगठित, सुन्दर हमारा हिन्दुस्तान होना चाहिए... हर सुबह मंदिर में भजन और मस्जिद में अजान होना चाहिए.. होली को बकरीद और ईद को दिवाली पर गुमान होना चाहिए... भले ही गीता, रामायण का पाठ करे हम, भले ही कुरानो को आत्मसात करे हम... पर सबसे उँचा, सबसे पवित्र हमारा संविधान होना चाहिए.... मातृभूमि के सम्मान को सर्वपरि माने हम... सबके दिल में गांधी, भगत, कलाम और सुभाष का ईमान होना चाहिए.. भाषाऎ असंख्य है, धर्म, जात भी भिन्न भिन्न.. पर सबके दिल में तिरंगे का अभिमान होना चाहिए... खून तो सबके एक है, मातृभूमि भी एक है.. अपनी माँ कि रक्षा के लिए, सबको तैयार होना चाहिए.. भारत का एक ही मन्त्र, एक ही तन्त्र.. संविधान ही हमारा सब कुछ, आओ मनाये हम गणतन्त्र...
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